मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

विद्यार्थी जीवन और फैशन

Posted by बेनामी
प्रिय विद्यार्थियों यदि बात की जाये एक विद्यार्थी के सुन्दर व्यक्तित्व और सम्पूर्ण विद्यार्थीपन की तो उसमें अनुशासन और मेहनत दो बातें जितना महत्व रखती है उतना ही जरूरी है 'सादगी' से भरा विद्यार्थी जीवन। क्योंकि विद्यार्थी जीवन की सादगी विद्यार्थी के फैशन से शायद ही कोई संबंध रखे । इसलिए हमें अब थोड़ा सा इस बात को गहराई से समझ लेना चाहिए कि सादगी क्या और फैशन क्या?
शायद फैशन से जुड़े इस मुद्दे पर सवाल - जवाब करना आपको थोड़ा भिन्न महसूस हो वो इसलिए क्योंकि आज सम्पूर्ण समाज में फैशन की गूँज है, और दूसरा लोग यह भी मानते हैं कि फैशन के मामले में पीछे रहकर हम समय के साथ नहीं चल पाते। लेकिन सच्चाई यह है कि केवल फैशन ही वह नहीं जो हमें समय के साथ चलाता है। क्यों कि समय के साथ चलने के लिए हमें अपनी अन्दरुनी अच्छाईयों को परखना होगा अपने हुनर को ऊँचा उठाना होगा।
यहाँ बात विद्यार्थी जीवन और उसके रहन - सहन की हो रही है तो इस विद्यार्थी जीवन में हमारा पहनावा जितना सरल और स्वच्छ होगा उतना ही बेहतर है। क्योंकि हम एक विद्यार्थी होकर यदि इन बाहरी चीजों और अपने फैशन पर ज्यादा ध्यान देंगे तो इसका नतीजा क्या होगा हम भी समझ सकते हैं। लेकिन अब हम बात करें सादगी की तो इसका यह भी मतलब नहीं कि हम साफ सुथरे रहना छोड़ दें साफ़ वस्त्र पहनने छोड़ दें अपनी जरूरतों को पूरा नहीं करें नहीं ऐसा नहीं और इस बात का जिक्र इससे पहले भी एक लेख में किया जा चुका है कि जितना स्वस्थ मन जरूरी है उतना ही तन और स्वस्थ तन के लिए सफाई अर्थात् सादगी जरूरी है।
लेकिन अब बात यहां कुछ रुखी सी महसूस होती है कि जब एक विद्यार्थी अपनी सादगी से दूर होकर फैशन के मार्ग पर चल पड़ता है तो इस फैशन का सीधा सा असर विद्यार्थी का पढ़ाई से जो लगाव है उस पर पड़ता है। क्योंकि विद्यार्थी जीवन में जितना फैसन बढता चला जाएगा उतना ही विद्यार्थी पढ़ाई से दूर होने लगेगा। देखिए फैशन एक ऐसी चीज़ है जिसे हम दूसरों की देखा देखी करते हैं चाहे वह अनजाने में भी क्यों न हो। ऐसा इसलिए ताकि हम लोगों को कुछ अलग तरह से प्रभावित कर सकें। लेकिन यह ज्यादा समय तक नहीं चल पाता है क्योंकि ऐसे में हम अपने विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई से तो दूर होते चले जाते हैं लेकिन दूसरा यह कि इससे हमारे खर्चे भी बढ़ जाते हैं और ऐसे खर्चे जो फालतू में गिने जाते हैं। हम इस बात से भी नासमझ नहीं कि हमें अपने विद्यार्थी जीवन में भी अपनी और विद्यालय संबंधी जरूरतों को पूरा करना पड़ता है। जिसे हमारे परिवार के सदस्य बहुत मुश्किल से पूरा कर पाते हैं। और यदि हम ऐसे समय में स्वयं को फैशन भरे माहौल में डाल लेंगे तो यह निश्चित ही है कि हमारे खर्चे बढ़ेंगे। और इन बढे खर्चों अर्थात् फैशन के शौंक को पूरा करने के लिए हमें पैसे की कमी खलेगी और जिन्हें पूरा करना हमारा पहला लक्ष्य होगा न कि हम अपनी पढ़ाई को महत्व देंगे। ऐसे में चाहे विद्यार्थी को अपने खर्चे पूरे करने के लिए कैसा भी रस्ता अपनाना पड़े लेकिन वह शौंक पूरे करना अब धीरे धीरे विद्यार्थी की मजबूरी बन चुकी होती है। फैशन में पड़कर विद्यार्थी अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को भूलकर केवल स्वयं को बड़ा साबित करना चाहता है। तो ऐसे में विद्यार्थी की पढ़ाई से बिल्कुल रूचि हट जाती है और वह केवल फैशन रूपी अलग दुनिया में जीना शुरू कर देता है।
इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अपने विद्यार्थी जीवन को फैशन से बिल्कुल नहीं जोड़ें और स्वयं को पढ़ाई से पूर्ण रूप से जोड़े रखें क्योंकि कि हमारी असली पहचान फैशन से नहीं बल्कि हमारी अच्छी मेहनत और अपने हुनर से जीवन में ऊँचाईयां छू लेने से बनेगी।

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