गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

विद्यार्थी जीवन और दोस्ती का महत्व

Posted by बेनामी
5. विद्यार्थी जीवन और दोस्ती का महत्व
आज हम बात करेंगे कि दोस्ती क्या है और इसका प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कितना महत्व है
हम सभी यह अच्छे से जानते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में 'दोस्ती' कितनी अहमियत रखती है। प्रत्येक रिश्ते में दोस्ती भी जीवन का एक अभिन्न अंग है। लेकिन क्या हम जानते भी हैं कि दोस्ती क्या है? अधिकतर लोगों की दोस्ती का मतलब किसी अन्य व्यक्ति के साथ हाथ मिलाने उनके साथ मौज - मस्ती करने या फिर अपना मतलब पूरा करने तक सीमित है। ऐसे में ज्यादातर लोग दोस्ती के इम्तिहान में फेल भी हो जाते हैं, क्यों कि दोस्त बनाने और दोस्ती निभाने में बहुत समझदारी चाहिए।
"आसान काम है हर किसी को दोस्त कहना, लेकिन बड़ा मुश्किल है दोस्ती निभाना"
आम तौर पर हम देखते हैं कि हम दोस्तों के बीच छोटी - छोटी बातों पर झगड़ा हो जाता है और बात इतनी बढ़ जाती है कि हम एक - दूसरे के भला बुरा कहकर दोस्ती का अंत कर देते हैं, और एक दूसरे के दुश्मन बन बैठते हैं। देखिए दोस्तों के बीच मामूली सा झगड़ा या बहस होना कोई बड़ी बात नहीं ऐसा हो भी जाता है, ऐसे समय में यदि हम गुस्से की बजाय समझदारी से काम लें तो हमारे लिए बेहतर रहेगा - अन्यथा हमारी दोस्ती के दुश्मनी में बदलने में समय नहीं लगेगा। इसका यही कारण कि अब तक हमने दोस्ती का मतलब नहीं और न ही इसे सीखा - बस इसी वजह से हमने दोस्ती की शुरुआत देर से की और इसका अंत जल्दी हो गया।
स्पष्ट रूप में कहा जाए तो मतलब यह कि हमें दोस्ती की शुरुआत अपने माता पिता और परिवार के सदस्यों से करनी चाहिए थी उनसे दोस्ती का मतलब, महत्व सीखना चाहिए था परन्तु ऐसा नहीं हुआ और हम दोस्ती बनाने की बजाय उसे निभाने में असफल हुए।
सही नजरिये से देखें तो हमारे माता - पिता ही हमारे सबसे सच्चे दोस्त हैं - इसलिए क्योंकि दोस्त वही है जो दूसरों के प्रति भलाई चाहते हों जो दूसरों पर सच्चा विश्वास करते हों और हमेशा सुख दुख के साथी हो। इसका सच्चा और बेहतर उदाहरण माता - पिता के अलावा शायद ही कोई हो। क्यों कि माता पिता ही हैं जो सर्वप्रथम सुख - दुख में हमारा साथ देते हैं। माता - पिता यदि किसी बात से हमसे गुस्सा भी है तो भी उनके दिल में हमारी कामयाबी की दुआ हमेशा रहती है। माता पिता की डांट फटकार में भी इतनी शक्ति है कि वो हमें जीवन में सच्चे और कामयाबी के रस्ते पर ले जाती है। लेकिन उसके लिए हमारी सहनशक्ति बहुत जरूरी है।
अन्ततः यही कहना सही है कि हमें अपने माता पिता से दोस्ती का महत्व और मतलब सीखना होगा।
"यदि हम दोस्ती की शुरुआत माता - पिता से करेंगे
तो हम जीवन में यही पायेंगे कि हमारी दोस्ती किसी
पुरुष - महिला, अमीर - गरीब की बजाय"इंसान" और उसकी "इंसानियत" से हो रही है।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें