मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

विद्यार्थी जीवन में प्रतिस्पर्धा एवं रोजगार

Posted by बेनामी

सही मायने में प्रत्येक विद्यार्थी का यही सपना होता है कि वह पढ़ -लिख कर जल्दी ही नौकरी लगे । इसी स्वप्न को पूरा करने के लिए हम अपनी कॅालेज की पढ़ाई पूरी कर लेने के तुरंत बाद प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए इनकी तैयारी में जुट जाते हैं। लेकिन यदि हम कॅालेज की पढ़ाई के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते रहे तो कॅालेज की पढ़ाई पूरी होने तक हमारी प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित विषयों की तैयारी भी अच्छे से हो चुकी होती है। जो हमारे लिए अधिक बेहतर रहता है। हम यह भी अच्छे से जानते हैं कि प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे रहने के लिए कठिन मेहनत की जरूरत पड़ती है लेकिन कठिन मेहनत के साथ साथ हमारे लिए यह भी जरूरी है कि हमारा एक निश्चित लक्ष्य हो, आत्मविश्वास हो और हमारे अंदर कुछ बनने और कर दिखाने का जज्बा हो। लेकिन इन सब बातों के साथ -साथ हमारे अंदर सफलता प्राप्ति के लिए असफलता का सामना करने और उससे कुछ अच्छा सीखने की शक्ति हो। लेकिन विद्यार्थी जीवन को सफल बनाने के लिए कुछ बातें ऐसी है जिन्हें हमें गहराई से समझना बेहद ज़रूरी है। इन्हीं बातों में विद्यार्थी जीवन की सफलता का राज छिपा होता है। उन बातों को हम आगे पढ़ेंगे
1. विद्यार्थी के बैठने की क्षमता /शक्ति
कोई भी विद्यार्थी चाहे वह पढ़ने में कितना भी सक्षम हो लेकिन फिर भी एक समस्या रहती है कि विद्यार्थी लगातार टिक कर पढ़ाई नहीं कर पाता अर्थात् पढ़ने बैठने के थोड़े से समय बाद ही किताबों से ध्यान हट जाता है और 'मन' बाहर घूमने मौज मस्ती करने को करता है।
यहाँ हमारे कम-ज्यादा पढ़ने या यादास्त की बजाय हमारे पढते वक्त टिक कर बैठने की क्षमता की बात की जा रही है। सोचिये यदि हम लगातार कुछ समय तक ही आसानी से बैठकर पढ़ नहीं पाते तो स्वयं को पढ़ाई से कैसे जोड़ सकते हैं, कैसे हम प्रतिस्पर्धा में दूसरों से आगे निकल सकते हैं। कई बार हम सोच लेते हैं कि दूसरे की बजाय मेरी यादास्त अच्छी है तो मैं थोड़े समय पढ़कर बहुत कुछ याद रख सकता हूँ। ऐसा सोचकर हम थोड़ा बहुत जरूरत के अनुसार थोड़ी देर तक ही पढ़ते हैं शायद ऐसा करना हमारे लिए गलत है। क्यों गौर कीजिए -- यदि अच्छी यादास्त के साथ - साथ हमारी शक्ति भी लम्बे समय तक बैठकर पढ़ने की है तो हम कितना कुछ आसानी से पढ़कर याद रख सकते हैं। यही नहीं यदि हम अधिक समय तक पढ़ने पर भी अगर कम याद रख पाते हैं तो भी हमें लगातार बैठकर पढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। कोशिश की जाये कि हम स्वयं को ज्यादा से ज्यादा समय तक पढ़ाई से जोड़ें रखें और रुचि के साथ अध्ययन करें तो हमारी बैठने की शक्ति स्वतः ही बढ़ती चली जायेगी।
हम यह भी अच्छे से जानते हैं कि हम जितना अधिक पढ़ेगे हमारे लिए विद्यार्थी जीवन में सफलता पाना उतना ही अधिक आसान होता चला जायेगा।
विद्यार्थी जीवन में ............रोजगार का बिन्दु -2 हम आगे के लेख में पढ़ेंगे

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें