अवश्य ऐसा प्रत्येक विद्यार्थी या व्यक्ति के साथ होता है कि पढ़ते समय या किसी कार्य को करते समय मन कोसों दूर भागता है, परन्तु प्रत्येक व्यक्ति के पास इतनी शक्ति है कि यदि वह चाहे तो स्वयं के मन को काबू में कर सकता है
किसी इंसान के पास ऐसी तो कोई जादुई छड़ी है नहीं कि वह अपने मन को तुरंत एक स्थान पर केंद्रित कर सके। लेकिन हमें कोशिश करनी होगी कि हम अपने मन में आने वाले भले बुरे विचारों की ओर ज्यादा ध्यान न दें । यदि पढ़ते समय हमारा ध्यान भटक भी जाता है तो उसे अपने '
आपने देखा होगा जब भी हम गाने सुनते हैं,टीवी देखते हैं तो हमारा ध्यान पूर्णतः उनमें समाहित रहता है,यहाँ तक कि आस पास होने वाली छोटी -बड़ी क्रिया -कलापों का भी कम ही पता चलता है,परन्तु ऐसा क्यों होता है।
इसके सिर्फ दो ही कारण हैं --रुचि और आनंद अर्थात् जिस कार्य को हम रुचि लेकर करेंगे उसमें हमें आनन्द भी प्राप्त होगा। जब भी हम टीवी देखते हैं गेम खेलते हैं तो उनमें हम अत्यधिक रुचि दिखाते हैं, जिससे हमें आनन्द भी मिलता है। यही कारण है कि हमारा ध्यान बिल्कुल केन्द्रित रहता है।
लेकिन दूसरी तरफ हम देखें तो पढ़ाई कर पाना थोड़ा मुश्किल कार्य है, और अब यदि हम पढ़ने में रुचि नहीं लेंगे आनंद महसूस नहीं करेंगे तो यह कठिन कार्य ओर कठिन बन जायेगा। तो कैसे हम अपना ध्यान पढ़ाई में जमा सकते हैं। इसलिए हमें कोशिश करनी होगी रुचि और आनंद लेकर पढ़ने की।
शायद इस बात से आप संन्तुष्ठ होंगे या नहीं -लेकिन हम कोशिश करें कि जब भी हमारा मन इधर -उधर भागे तो एक ऐसा दूसरा मन तैयार करें कि जो उसे वापिस खींचकर लाये अर्थात् मन को भटकने से रोके और एक स्थान पर केंद्रित करे । कहा जाता है ऐसा ध्यान योग से संभव है -बिल्कुल सही। लेकिन ध्यान योग भी तभी कारगर सिद्ध होगा जब हम केवल आंखें बन्द करने की बजाय मन को केन्द्रित और चित को शांत करने की कोशिश करें।
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