सफलता अपने आप में एक महान कहानी है। सफलता कैसी भी हो सफलता "सफलता" है इसका कोई बड़ा - छोटा रूप नहीं है। फिर भी सफलता का स्वाद चखने में अलग - अलग है। अर्थात् हमारे जीवन में मिलने वाली बार - बार की असफलता, हमें मिलने वाली सफलता को बड़ा बना देती है, और उसमें आनंद और स्वाद बड़े रूप में भर देती है। हम यह अच्छे से जानते हैं कि हमें अपने विद्यार्थी जीवन में सफलता पाने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ती है लेकिन कठिन मेहनत के बाद भी शुरूआत में हमें बहुत बार असफलता का सामना करना पड़ता है। परन्तु यदि हम असफलता को सही नजरिये से देखें तो असफलता हमें जीवन में रह रही कुछ छोटी - बड़ी कमियों की ओर ध्यान आकर्षित करने और उनमें सुधार करने के लिए एक अच्छे मार्गदर्शक का काम करती है। लेकिन हम असफलता से अच्छा मार्गदर्शन तभी पा सकते हैं जब हम नकारात्मक विचारों की बजाय असफलता को सकारात्मक रूप में लें। हमें चाहिए कि हम असफल होने के कारणों का पता लगायें , एवं अपनी गलतियों को दोहराने की बजाय उनमें सुधार करें। यदि हम अपने विद्यार्थी जीवन में असफल होकर निराश बैठ जायें और सफलता पाने के दुबारा प्रयास ही नहीं करेंगे तो हमारा सफलता के बारे में सोचना भी फिजूल है। कई बार हम सफलता पाने के दुबारा प्रयास इस वजह से नहीं करते क्योंकि हम गलत बातों की परवाह करने लगते हैं जैसे - "यदि मुझे इस बार सफलता नहीं मिली तो मेरा क्या होगा कोई क्या कहेगा, मैं बार- बार पैसे की बर्बादी कर रहा हूँ जबकि सफलता मेरे नसीब में नहीं है।"बस ऐसी ही गलत बातें सोच लेना
लेकिन ऐसा सोचना हमारी गलत - फहमी या फिर कहें यह हमारी घटिया सोच है। क्योंकि ऐसा सोचकर हम सफलता पाने के प्रयासों से दूर भागने लगेंगे, जिससे हम सफलता के नजदीक पहुंच कर भी हार मान जायेंगे।
इसलिए बेहतर यही रहेगा कि आज से हम भूत - भविष्य की चिंता किये बगैर केवल आज के इसी क्षण के लिए जीयें। उन बातों को भूला दिया जाए जो निकल चुकी है और निराशा - जनक थी बस जीवन में आगे बढ़ते रहे। लेकिन यहाँ भूत - भविष्य की चिंता न करने का मतलब यह नहीं कि हम आज में रहकर भविष्य के लिए योजना बनाना ही छोड़ दें - नहीं बल्कि आज ही स्वयं को इतना मजबूत बनाये कि भविष्य में आने वाली परेशानियों, बाधाओं से आसानी से निपटा जा सके और सफलता प्राप्त की जा सके।
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