बुधवार, 21 दिसंबर 2016

विद्यार्थी जीवन में ईमानदारी एक बड़ा गुण

Posted by बेनामी
4. विद्यार्थी जीवन में ईमानदारी एक बड़ा गुण
प्रिय विद्यार्थीयो पिछले लेख में हमने विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व के बारे में पढ़ा तो आज हम प्रत्येक व्यक्ति के एक सुंदर गुण 'ईमानदारी' के बारे में चर्चा करेंगे लेकिन इससे पहले हम यह भी जान लें कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कुछ ना कुछ सीखने के लिए एक शिष्य बनना पड़ता है,और हम अपने विद्यार्थी जीवन में ईमानदारी के मार्ग से जुड़े रहें - इसलिए लेख की शुरुआत विद्यार्थी शब्द से करना उचित रहेगा:-
चालाक शब्द का बुद्धि से शायद ही कोई वास्ता हो। यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि आज भलाई का समय नहीं रह गया है, अब तो चालाकी और बेईमानी करने में ही फायदा है - तो ऐसा कहने वाला व्यक्ति शायद टूटी- फूटी इंसानियत वाला हो। ऐसे व्यक्ति हमेशा दर्पण को धंधला बताते हैं, इन्हें नहीं मालूम होता कि धूल चेहरे पर भी जमी हो सकती है। यदि कोई व्यक्ति स्वयं को चालाक समझकर बेईमानी का रास्ता अपनाने लगे और स्वयं को महान समझे तो वह इस बात से अनजान है कि गलत काम का नतीजा हमेशा गलत ही होता है। और एक न एक दिन स्वयं द्वारा खोदे गए बेईमानी के गढ़ो में फिसलने में समय नहीं लगता।
यदि आपने कभी गौर की हो तो जीवन में ऐसी छोटी - छोटी घटनाएं जो हमें पूर्णतः ईमानदार बनने का मौका देती रहती है। जैसे आपने देखा होगा जब हम दूध आदि में पानी डालकर बेचते हैं तो कई बार उसी क्षण या कुछ समय बाद दूध के खराब हो जाने या जमीन पर बिखर जाने जैसी घटना घट ही जाती है। यही नहीं ऐसे छोटे - बड़े बहुत से उदाहरण हमारे जीवन में होते रहते हैं - जो किसी न किसी रूप में हमें अपनी गलती का अहसास करवाते हैं।
लेकिन अब यदि हम ऊपर लिखे मिथ को नहीं मानें फिर भी हमें कोशिश करनी चाहिए कि हम इन बातों को नजरअंदाज ना करें और इनसे सीख लेने की कोशिश करें। इसलिए हमें यही समझना चाहिए कि भगवान हमें ऐसे मौके जिन्दगी में सुधार करने और ईमानदार बनने के लिए देता है। यदि हम जान बूझकर भी ऐसा करते रहें तो एक दिन हमें बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है।
एक ईमानदार व्यक्ति बनकर हम समाज में प्रत्येक व्यक्ति का दिल जीत सकते हैं। लेकिन ईमानदारी हमारे तन - मन में पूर्ण रूप से भरी हो । ऐसा न हो कि हम केवल ईमानदार बनने का दिखावा करते रहें और हमारे मन में दूसरों के लिए कूट भावना भरी हो। क्योंकि बुद्धिमान लोगों का मानना है कि झूठ और बेईमानी बिना पांव के होती है जो एक न एक दिन सामने आ ही जाती है और यह सच भी है।

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