रविवार, 25 दिसंबर 2016

विद्यार्थी का भय से उत्पन्न बहाना

Posted by बेनामी

7. बहाना मतलब - भय

प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ी समस्या यह रहती है कि जब भी हम किसी कार्य को करना चाहते हैं या अपने लक्ष्य तक पहुँचना चाहते हैं, तो उससे पहले हमारे मन में एक भय उत्पन्न होता है। ऐसा भय जिससे हम अपने कार्य/लक्ष्य को शुरू से टाल देने का कोई बहाना ढूंढ लेते हैं और कार्य को किये बगैर ही उस बहाने का मनन कर कर के स्वयं को संतुष्टि दिलाना चाहते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा इसके पीछे कारण क्या है। इसके प्रमुख रूप से दो कारण होते हैं -
1. 'या तो हमने काम करने का फैसला सच्चे और शांत मन से नहीं लिया।'
2. 'या फिर हम इस बात से डर गए कि लक्ष्य पाने में बाधायें आयेगी और हम असफल हो जायेंगे।'
बस इन्हीं कारणों की वजह से हमें अपना लक्ष्य कठिन की बजाय बहुत कठिन लगने लगता है यही वजह रहती है कि हम अपने किसी भी कार्य को शुरू नहीं करना चाहते। और उसे न कर पाने के बहाने बनाने में बैठ जाते हैं। जैसे:-
- मैं यह नहीं कर सकता
- मैं बीमार हूँ या/ बीमार पड़ जाऊँगा
- यह बहुत कठिन है
- मुझे यह करना नहीं आता

इन जैसे नए - नए बहाने बना लेते हैं और एक भय की वजह से यह बहानेवाजी हमारे न करने पर भी मन में चलती रहती है। कई बार तो हम ऐसे घटिया बहाने बनाते हैं, जो दूसरों के सामने हमारे मुँह से शोभा तक नहीं देते और इन्हें सुनकर सामने वाला भी शर्मिंदगी महसूस करता है। लेकिन एक खास बात यह है कि किसी कार्य को टालने के लिए हम बहुत आसानी से सैकड़ों मनघड़ंत बहाने बना लेते हैं। लेकिन एक भी कारण ऐसा नहीं खोजते जिससे हम उस कार्य को करना जरूरी समझें। ऐसा इसलिए क्योंकि असफल होने का डर मानसिकता को घेरे रहता है।
बिल्कुल यही कहानी हमारे विद्यार्थी जीवन से जुड़ी है अर्थात जब हमें अपना कोई पढ़ाई संबंधी विषय कठिन लगता है या पढ़ने में रुचि नहीं है तो अवश्य हम कोई ना कोई ऐसा बहाना ढूंढ ही निकालेंगे जिससे हमें वह विषय पढना न पड़े। कहने का मतलब हम जिस विषय,कार्य से डरते हैं या कठिन मान लेते हैं तो आम तौर पर हम ऐसे बहाने बनाते हैं:-
- मेरे पास इस विषय की पुस्तक नहीं।
- मुझे पाठ्यक्रम का पता नहीं।
- आज पढ़ने का मन नहीं।

अन्य भी कई प्रकार के बहाने, लेकिन हम यह नहीं जानते कि ऐसा करके हम स्वयं के भविष्य को खराब करने में लगे हैं। हम इस बात को भी अच्छे से जानते हैं कि हमें एक न एक दिन अपने प्रत्येक कार्य को स्वयं ही निपटाना पड़ेगा। अर्थात् हमें उस विषय को भी पढ़ना पड़ेगा जिसे हम कठिन मानते हैं, हमें अपने प्रत्येक कार्य/लक्ष्य को पाने के लिए कठिन मेहनत करनी होगी। क्योंकि उसके बिना भी हमारा सफल होना संभव नहीं है।
इसलिए हमें चाहिये कि हम कठिन से कठिन कार्य को भी अपना लक्ष्य बनायें और अपने लक्ष्य में असफल हो जाने के भय से दूर रहकर ऐसी वजह खोजें जिससे उस कार्य को हम रुचि लेकर करना चाहें और कठिन मेहनत करें। ऐसे में हमें कोई भी कार्य कठिन भी नहीं लगेगा और कार्य को आनंद के साथ करेंगे जिससे हम अवश्य जीवन में सफल भी होंगे।
इसकी पक्की गारंटी है

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