परीक्षा व्यक्तिगत जीवन में इस बात का संकेत है कि हम निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं और प्रत्येक क्षण कुछ नया और अच्छा सीख रहे हैं। विद्यार्थियो परीक्षा न तो कोई भय है, न कोई उलझन और न ही किसी के लिए जिन्दगी का बोझ। परीक्षा परीक्षा है। परीक्षा एक उस दरवाजे के समान है, जिसे खोलने के लिए हमें एक साथ दो - मेहनत और आत्मविश्वास नामक चाबीयों की जरूरत पड़ती है। और हम इस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलकर जब आगे बढ़ते हैं तो वह कदम हमारी जिन्दगी का बड़ा कदम है, और जिससे हमने अपने अन्दर एक नई ऊर्जा और हौसले को काबू में किया है जो हमें आगे बढ़ने में ओर अधिक मदद करेगा। लेकिन मुद्दे की बात करें तो हम जीवन भर मेहनत करते हैं लेकिन जब भी परीक्षा का समय आता है तो उसके नाम से ही हम घबरा जाते हैं। तो इसका साफ मतलब यही है कि हम उस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलने वाली एक चाबी का प्रयोग करना भूल गए। अर्थात् हमने परीक्षा में सफलता पाने के लिए या तो मेहनत नहीं की या फिर मेहनत तो की लेकिन उस मेहनत पर विश्वास नहीं जमा पाये। हम यहां बात कर रहे हैं विद्यार्थी जीवन की जिसमें मेहनत का मूल मकसद परीक्षा में सफलता अर्जित करना है। और वही परीक्षा विद्यार्थी की अपनी मेहनत का परिणाम सामने रखती है अर्थात् इस बात का ज्ञान करवाती है कि हमने अब तक क्या सीखा है। अब चाहे वह स्कूल, कॅालेज या प्रतियोगिता से जुड़ी परीक्षा क्यों न हो। परन्तु यदि हम कहें कि परीक्षा से भय तो निश्चित है - नहीं ऐसा बिलकुल नहीं हमें अपने मन से इस सोच और भय को दूर करना होगा। अन्यथा यह तो निश्चित है कि परीक्षा से जुड़ा भय अवश्य हमारे लिए घातक सिद्ध होने वाला है। एक बात पर थोड़ी गौर फरमाईये आप ऐसे विद्यार्थी को जरूर जानते होंगे जो बहुत मेहनत करता है लेकिन काफी समय से परीक्षा में थोड़े बहुत नंबर से असफल रहता है, दूसरी तरफ एक ऐसे विद्यार्थी को जानते होंगे जिसने मेहनत तो पहले विद्यार्थी की तुलना में कम की लेकिन वह परीक्षा में सफल रहा। क्या कारण रह ऐसा कुछ होने के पीछे - देखिए केवल सपाट मेहनत करने से नहीं बल्कि हम जो मेहनत करते हैं उस पर कहाँ तक हमारा विश्वास लिपटा है कि हां अवश्य मेरी मेहनत सफलता अर्जित करेगी। बस वही हमारा आत्मविश्वास है जिसके बल पर ही हमारी मेहनत हौसले से चमक रही है। देखिये हम जितना मेहनत करेंगे और हम उस पर जितना सेल्फकॅान्फीडेंस बनाए रखेंगे बस वही हमारे अनुभव में बदलने वाला है। और यही वह अनुभव है जिसके बल पर हम सफल होने वाले हैं। आपको बात को सकारात्मक नजरिये से समझना होगा कि यहां यह कतई नहीं कहा कि आप मेहनत ना करें और केवल यह कहकर परीक्षा देने चल दें कि बस आत्मविश्वास काफी है। नहीं सर्वप्रथम मेहनत करनी होगी तभी हमारे अंदर से आत्मविश्वास पैदा होगा और वह परीक्षा से जुड़े भय को मात देने वाला है। क्योंकि कुछ विद्यार्थियो के साथ ऐसा भी होता है कि वे घर से खूब मेहनत कर के जाते हैं लेकिन जैसे ही परीक्षा देने बैठते हैं तो उन्हें यदि शुरुआत के एक दो प्रश्न नहीं आते तो वे अपना पूरा आत्मविश्वास खो देते हैं और उन्हें जो प्रश्न सही करने थे उसे भी भय की वजह से गलत कर बैठते हैं। तो यहां हमारा आत्मविश्वास ही हमें सहारा देने वाला है न कि अकेली मेहनत। और एक ओर बात का। ध्यान रखिये कि यदि आप मेहनती होकर भी परीक्षा के समय घबरा जाते हैं तो थोड़ा इस बात को सोचिये कि यदि परीक्षा में इस बार असफल हुए तो ज्यादा से ज्यादा आपका क्या नुकसान होगा - ताकि आप स्वयं को मानसिक और शारीरिक क्षति से बचाए रख सकें।और ऐसा करके आप आत्मविश्वास पर भी जीत दर्ज कर लेंगे। प्रिय विद्यार्थियो आपको यह लेख कैसा लगा हमें अपनी राय भेजें
शुक्रवार, 13 जनवरी 2017
विद्यार्थी का परीक्षा संबंधी भय
Posted by बेनामी
प्रिय विद्यार्थियो इस लेख को बिल्कुल सरल रूप में लिखने की कोशिश की गई है इसलिए हो सकता है आपको थोड़ा ऊबाउपन महसूस हो लेकिन ऐसा हमने जरूरी समझा।
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में किसी न किसी रूप में परीक्षा देनी होती है जो कि पढ़ाई ही नहीं बल्कि किसी भी रूप या लक्ष्य के लिए हो सकती है। क्योंकि परीक्षा व्यक्ति के जीवन का वह बिंदु है जिसे पहचानने के लिए व्यक्ति स्वयं को पहले से तैयार करता है।
परीक्षा व्यक्तिगत जीवन में इस बात का संकेत है कि हम निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं और प्रत्येक क्षण कुछ नया और अच्छा सीख रहे हैं। विद्यार्थियो परीक्षा न तो कोई भय है, न कोई उलझन और न ही किसी के लिए जिन्दगी का बोझ। परीक्षा परीक्षा है। परीक्षा एक उस दरवाजे के समान है, जिसे खोलने के लिए हमें एक साथ दो - मेहनत और आत्मविश्वास नामक चाबीयों की जरूरत पड़ती है। और हम इस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलकर जब आगे बढ़ते हैं तो वह कदम हमारी जिन्दगी का बड़ा कदम है, और जिससे हमने अपने अन्दर एक नई ऊर्जा और हौसले को काबू में किया है जो हमें आगे बढ़ने में ओर अधिक मदद करेगा। लेकिन मुद्दे की बात करें तो हम जीवन भर मेहनत करते हैं लेकिन जब भी परीक्षा का समय आता है तो उसके नाम से ही हम घबरा जाते हैं। तो इसका साफ मतलब यही है कि हम उस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलने वाली एक चाबी का प्रयोग करना भूल गए। अर्थात् हमने परीक्षा में सफलता पाने के लिए या तो मेहनत नहीं की या फिर मेहनत तो की लेकिन उस मेहनत पर विश्वास नहीं जमा पाये। हम यहां बात कर रहे हैं विद्यार्थी जीवन की जिसमें मेहनत का मूल मकसद परीक्षा में सफलता अर्जित करना है। और वही परीक्षा विद्यार्थी की अपनी मेहनत का परिणाम सामने रखती है अर्थात् इस बात का ज्ञान करवाती है कि हमने अब तक क्या सीखा है। अब चाहे वह स्कूल, कॅालेज या प्रतियोगिता से जुड़ी परीक्षा क्यों न हो। परन्तु यदि हम कहें कि परीक्षा से भय तो निश्चित है - नहीं ऐसा बिलकुल नहीं हमें अपने मन से इस सोच और भय को दूर करना होगा। अन्यथा यह तो निश्चित है कि परीक्षा से जुड़ा भय अवश्य हमारे लिए घातक सिद्ध होने वाला है। एक बात पर थोड़ी गौर फरमाईये आप ऐसे विद्यार्थी को जरूर जानते होंगे जो बहुत मेहनत करता है लेकिन काफी समय से परीक्षा में थोड़े बहुत नंबर से असफल रहता है, दूसरी तरफ एक ऐसे विद्यार्थी को जानते होंगे जिसने मेहनत तो पहले विद्यार्थी की तुलना में कम की लेकिन वह परीक्षा में सफल रहा। क्या कारण रह ऐसा कुछ होने के पीछे - देखिए केवल सपाट मेहनत करने से नहीं बल्कि हम जो मेहनत करते हैं उस पर कहाँ तक हमारा विश्वास लिपटा है कि हां अवश्य मेरी मेहनत सफलता अर्जित करेगी। बस वही हमारा आत्मविश्वास है जिसके बल पर ही हमारी मेहनत हौसले से चमक रही है। देखिये हम जितना मेहनत करेंगे और हम उस पर जितना सेल्फकॅान्फीडेंस बनाए रखेंगे बस वही हमारे अनुभव में बदलने वाला है। और यही वह अनुभव है जिसके बल पर हम सफल होने वाले हैं। आपको बात को सकारात्मक नजरिये से समझना होगा कि यहां यह कतई नहीं कहा कि आप मेहनत ना करें और केवल यह कहकर परीक्षा देने चल दें कि बस आत्मविश्वास काफी है। नहीं सर्वप्रथम मेहनत करनी होगी तभी हमारे अंदर से आत्मविश्वास पैदा होगा और वह परीक्षा से जुड़े भय को मात देने वाला है। क्योंकि कुछ विद्यार्थियो के साथ ऐसा भी होता है कि वे घर से खूब मेहनत कर के जाते हैं लेकिन जैसे ही परीक्षा देने बैठते हैं तो उन्हें यदि शुरुआत के एक दो प्रश्न नहीं आते तो वे अपना पूरा आत्मविश्वास खो देते हैं और उन्हें जो प्रश्न सही करने थे उसे भी भय की वजह से गलत कर बैठते हैं। तो यहां हमारा आत्मविश्वास ही हमें सहारा देने वाला है न कि अकेली मेहनत। और एक ओर बात का। ध्यान रखिये कि यदि आप मेहनती होकर भी परीक्षा के समय घबरा जाते हैं तो थोड़ा इस बात को सोचिये कि यदि परीक्षा में इस बार असफल हुए तो ज्यादा से ज्यादा आपका क्या नुकसान होगा - ताकि आप स्वयं को मानसिक और शारीरिक क्षति से बचाए रख सकें।और ऐसा करके आप आत्मविश्वास पर भी जीत दर्ज कर लेंगे। प्रिय विद्यार्थियो आपको यह लेख कैसा लगा हमें अपनी राय भेजें
परीक्षा व्यक्तिगत जीवन में इस बात का संकेत है कि हम निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं और प्रत्येक क्षण कुछ नया और अच्छा सीख रहे हैं। विद्यार्थियो परीक्षा न तो कोई भय है, न कोई उलझन और न ही किसी के लिए जिन्दगी का बोझ। परीक्षा परीक्षा है। परीक्षा एक उस दरवाजे के समान है, जिसे खोलने के लिए हमें एक साथ दो - मेहनत और आत्मविश्वास नामक चाबीयों की जरूरत पड़ती है। और हम इस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलकर जब आगे बढ़ते हैं तो वह कदम हमारी जिन्दगी का बड़ा कदम है, और जिससे हमने अपने अन्दर एक नई ऊर्जा और हौसले को काबू में किया है जो हमें आगे बढ़ने में ओर अधिक मदद करेगा। लेकिन मुद्दे की बात करें तो हम जीवन भर मेहनत करते हैं लेकिन जब भी परीक्षा का समय आता है तो उसके नाम से ही हम घबरा जाते हैं। तो इसका साफ मतलब यही है कि हम उस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलने वाली एक चाबी का प्रयोग करना भूल गए। अर्थात् हमने परीक्षा में सफलता पाने के लिए या तो मेहनत नहीं की या फिर मेहनत तो की लेकिन उस मेहनत पर विश्वास नहीं जमा पाये। हम यहां बात कर रहे हैं विद्यार्थी जीवन की जिसमें मेहनत का मूल मकसद परीक्षा में सफलता अर्जित करना है। और वही परीक्षा विद्यार्थी की अपनी मेहनत का परिणाम सामने रखती है अर्थात् इस बात का ज्ञान करवाती है कि हमने अब तक क्या सीखा है। अब चाहे वह स्कूल, कॅालेज या प्रतियोगिता से जुड़ी परीक्षा क्यों न हो। परन्तु यदि हम कहें कि परीक्षा से भय तो निश्चित है - नहीं ऐसा बिलकुल नहीं हमें अपने मन से इस सोच और भय को दूर करना होगा। अन्यथा यह तो निश्चित है कि परीक्षा से जुड़ा भय अवश्य हमारे लिए घातक सिद्ध होने वाला है। एक बात पर थोड़ी गौर फरमाईये आप ऐसे विद्यार्थी को जरूर जानते होंगे जो बहुत मेहनत करता है लेकिन काफी समय से परीक्षा में थोड़े बहुत नंबर से असफल रहता है, दूसरी तरफ एक ऐसे विद्यार्थी को जानते होंगे जिसने मेहनत तो पहले विद्यार्थी की तुलना में कम की लेकिन वह परीक्षा में सफल रहा। क्या कारण रह ऐसा कुछ होने के पीछे - देखिए केवल सपाट मेहनत करने से नहीं बल्कि हम जो मेहनत करते हैं उस पर कहाँ तक हमारा विश्वास लिपटा है कि हां अवश्य मेरी मेहनत सफलता अर्जित करेगी। बस वही हमारा आत्मविश्वास है जिसके बल पर ही हमारी मेहनत हौसले से चमक रही है। देखिये हम जितना मेहनत करेंगे और हम उस पर जितना सेल्फकॅान्फीडेंस बनाए रखेंगे बस वही हमारे अनुभव में बदलने वाला है। और यही वह अनुभव है जिसके बल पर हम सफल होने वाले हैं। आपको बात को सकारात्मक नजरिये से समझना होगा कि यहां यह कतई नहीं कहा कि आप मेहनत ना करें और केवल यह कहकर परीक्षा देने चल दें कि बस आत्मविश्वास काफी है। नहीं सर्वप्रथम मेहनत करनी होगी तभी हमारे अंदर से आत्मविश्वास पैदा होगा और वह परीक्षा से जुड़े भय को मात देने वाला है। क्योंकि कुछ विद्यार्थियो के साथ ऐसा भी होता है कि वे घर से खूब मेहनत कर के जाते हैं लेकिन जैसे ही परीक्षा देने बैठते हैं तो उन्हें यदि शुरुआत के एक दो प्रश्न नहीं आते तो वे अपना पूरा आत्मविश्वास खो देते हैं और उन्हें जो प्रश्न सही करने थे उसे भी भय की वजह से गलत कर बैठते हैं। तो यहां हमारा आत्मविश्वास ही हमें सहारा देने वाला है न कि अकेली मेहनत। और एक ओर बात का। ध्यान रखिये कि यदि आप मेहनती होकर भी परीक्षा के समय घबरा जाते हैं तो थोड़ा इस बात को सोचिये कि यदि परीक्षा में इस बार असफल हुए तो ज्यादा से ज्यादा आपका क्या नुकसान होगा - ताकि आप स्वयं को मानसिक और शारीरिक क्षति से बचाए रख सकें।और ऐसा करके आप आत्मविश्वास पर भी जीत दर्ज कर लेंगे। प्रिय विद्यार्थियो आपको यह लेख कैसा लगा हमें अपनी राय भेजें
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