लेकिन विद्यार्थियो वास्तविकता यह नहीं है। क्योंकि कि शिक्षा हमें क्या कुछ नहीं सिखाती यहां तक कि शिक्षा ही है जो हमें स्वयं के रहन सहन से लेकर सम्पूर्ण सृष्टि तक का ज्ञान करवाती है। शिक्षा के बल पर ही प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन, सहनशीलता, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे गुणों को सीखता है। हम इस बात को स्वयं की सोच की गहराई से अच्छे से समझ सकते हैं कि हम अनपढ रहते तो हमारी जीवन शैली कैसी होती और शिक्षित हैं तो हमारी ताकत क्या है। हमें इस बात को अपने जहन में बिठाना होगा कि शिक्षा ही वह शक्ति है जिससे हम जिन्दगी जीने के रहस्यों को जान पाते हैं। हम इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि एक अनपढ़ और शिक्षित युवाओं के रहन-सहन, बोलचाल और कार्य करने के तौर तरीकों में कितना बड़ा अंतर होता है। साफ शब्दों में कहें तो एक शिक्षित व्यक्ति शिक्षा के बल पर एक पीढ़ी आगे बढ़ जाता है उस स्तर से जहां वह अनपढ़ रह जाता। ऐसा इसलिए कि यदि किसी बच्चे के माता- पिता अनपढ़ रहते हैं तो उसे अपना जीवन का आधार स्वयं तैयार करना होगा। लेकिन इसके विपरीत यदि उस बच्चे के माता पिता शिक्षित है तो समझ लीजिए उन्होंने अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर दिया है, जिसके बल पर वह बच्चा और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सफल होगा। और हम इन दोनों बातों में जो अंतर है उसे साफ नजर से देख सकते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम शिक्षा का संबंध केवल नौकरी पाने से न लेकर इसे अपने जीवन का सुन्दर आधार बनाएँ। जिससे हम समाज में अच्छे नागरिक बन सके। इसलिए अन्ततः यही कहना सही है कि मनुष्य जीवन का पहला और बड़ा कर्म शिक्षित बनना है। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कॅामेंट बॅाक्स में अवश्य लिखें।
शनिवार, 14 जनवरी 2017
विद्यार्थी की पढ़ाई एक ताकत
Posted by बेनामी
मनुष्य जीवन का शिक्षा ही मूल आधार है। शिक्षा के बिना मनुष्य जीवन अधूरा है क्योंकि शिक्षा ही है जो हमें सही गलत, अच्छे - बूरे का ज्ञान करवाती है। लेकिन फिर भी हमें यह बात कहीं न कहीं सुनने को मिल जाती है कि हम पढ़ लिख कर क्या कर लेंगे। इस बात का सबूत वह बालक है जो कम उम्र में भी मजदूर की तरह कार्य करता है। ऐसा दृश्य हमें बाज़ार में दुकानों और होटलों पर आसानी से देखने को मिल जाएगा। और उन बच्चों के माता पिता और उन स्वयं के सामने पढ़ाई का जिक्र किया जाए तो उनका जवाब यही होगा कि आखिर पढ़ लिखकर क्या कर लेगा, कौनसा अधिकारी बन जाएगा। इतना ही नहीं बहुत हद तक ऐसी सोच उन युवाओं की भी है जो पढ़ रहे हैं - लेकिन फिर भी वे इस पढ़ाई के बदलाव को समझ नहीं पाते। उनका पढ़ने का मूल मकसद सिर्फ बड़ी नौकरी और धन पाने से है। लेकिन पढ़ाई का महत्व केवल इतना नहीं है।
आप इस उदाहरण से समझने की कोशिश कीजिए -
एक अनपढ़ व्यक्ति इस बात को जानता है कि पूर्व में सूर्य निकलता है और दिन हो जाता है और पश्चिमी में ढ़ल जाता है तो रात -
अब यही बात एक शिक्षित व्यक्ति को भी पता है लेकिन उस अनपढ़ की बजाय शिक्षित व्यक्ति को इस बात का अच्छे से ज्ञान है कि दिन और रात कैसे होते हैं। लेकिन इन बातों का अनपढ़ व्यक्ति को शायद ही पता हो।
अब आप इस बात से बहुत हद तक शिक्षा के महत्व को समझ गए होंगे। लेकिन फिर भी आप यह मानते हैं कि यदि पढ़ लिख कर नौकरी न मिले अच्छी खासी सैलरी न मिले तो पढ़ाई व्यर्थ है ।
लेकिन विद्यार्थियो वास्तविकता यह नहीं है। क्योंकि कि शिक्षा हमें क्या कुछ नहीं सिखाती यहां तक कि शिक्षा ही है जो हमें स्वयं के रहन सहन से लेकर सम्पूर्ण सृष्टि तक का ज्ञान करवाती है। शिक्षा के बल पर ही प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन, सहनशीलता, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे गुणों को सीखता है। हम इस बात को स्वयं की सोच की गहराई से अच्छे से समझ सकते हैं कि हम अनपढ रहते तो हमारी जीवन शैली कैसी होती और शिक्षित हैं तो हमारी ताकत क्या है। हमें इस बात को अपने जहन में बिठाना होगा कि शिक्षा ही वह शक्ति है जिससे हम जिन्दगी जीने के रहस्यों को जान पाते हैं। हम इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि एक अनपढ़ और शिक्षित युवाओं के रहन-सहन, बोलचाल और कार्य करने के तौर तरीकों में कितना बड़ा अंतर होता है। साफ शब्दों में कहें तो एक शिक्षित व्यक्ति शिक्षा के बल पर एक पीढ़ी आगे बढ़ जाता है उस स्तर से जहां वह अनपढ़ रह जाता। ऐसा इसलिए कि यदि किसी बच्चे के माता- पिता अनपढ़ रहते हैं तो उसे अपना जीवन का आधार स्वयं तैयार करना होगा। लेकिन इसके विपरीत यदि उस बच्चे के माता पिता शिक्षित है तो समझ लीजिए उन्होंने अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर दिया है, जिसके बल पर वह बच्चा और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सफल होगा। और हम इन दोनों बातों में जो अंतर है उसे साफ नजर से देख सकते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम शिक्षा का संबंध केवल नौकरी पाने से न लेकर इसे अपने जीवन का सुन्दर आधार बनाएँ। जिससे हम समाज में अच्छे नागरिक बन सके। इसलिए अन्ततः यही कहना सही है कि मनुष्य जीवन का पहला और बड़ा कर्म शिक्षित बनना है। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कॅामेंट बॅाक्स में अवश्य लिखें।
लेकिन विद्यार्थियो वास्तविकता यह नहीं है। क्योंकि कि शिक्षा हमें क्या कुछ नहीं सिखाती यहां तक कि शिक्षा ही है जो हमें स्वयं के रहन सहन से लेकर सम्पूर्ण सृष्टि तक का ज्ञान करवाती है। शिक्षा के बल पर ही प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन, सहनशीलता, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे गुणों को सीखता है। हम इस बात को स्वयं की सोच की गहराई से अच्छे से समझ सकते हैं कि हम अनपढ रहते तो हमारी जीवन शैली कैसी होती और शिक्षित हैं तो हमारी ताकत क्या है। हमें इस बात को अपने जहन में बिठाना होगा कि शिक्षा ही वह शक्ति है जिससे हम जिन्दगी जीने के रहस्यों को जान पाते हैं। हम इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि एक अनपढ़ और शिक्षित युवाओं के रहन-सहन, बोलचाल और कार्य करने के तौर तरीकों में कितना बड़ा अंतर होता है। साफ शब्दों में कहें तो एक शिक्षित व्यक्ति शिक्षा के बल पर एक पीढ़ी आगे बढ़ जाता है उस स्तर से जहां वह अनपढ़ रह जाता। ऐसा इसलिए कि यदि किसी बच्चे के माता- पिता अनपढ़ रहते हैं तो उसे अपना जीवन का आधार स्वयं तैयार करना होगा। लेकिन इसके विपरीत यदि उस बच्चे के माता पिता शिक्षित है तो समझ लीजिए उन्होंने अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर दिया है, जिसके बल पर वह बच्चा और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सफल होगा। और हम इन दोनों बातों में जो अंतर है उसे साफ नजर से देख सकते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम शिक्षा का संबंध केवल नौकरी पाने से न लेकर इसे अपने जीवन का सुन्दर आधार बनाएँ। जिससे हम समाज में अच्छे नागरिक बन सके। इसलिए अन्ततः यही कहना सही है कि मनुष्य जीवन का पहला और बड़ा कर्म शिक्षित बनना है। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कॅामेंट बॅाक्स में अवश्य लिखें।
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