गुरुवार, 5 जनवरी 2017

विद्यार्थी जीवन और परिस्थितियां

Posted by बेनामी
जिन्दगी इतनी सरल भी नहीं कि हम इसका प्रत्येक पल हंस कर बितायें । लेकिन इतनी भी कठिन नहीं कि इसे गंभीर समझ कर जीना ही छोड़ दें और घुटन महसूस करें। जिन्दगी का एक सिद्धांत यह भी है कि यह शुरूआत में जितनी जटिल है आने वाले समय में हम उसे उतना ही अधिक सफल बना सकेंगे लेकिन इससे पहले हमें इसके गहरे राज(secret) को जानना होगा। इसे प्रत्येक व्यक्ति बड़ी आसानी से समझ सकता है जो कहीं ओर नहीं बल्कि हमारे अन्दर ही छिपा है। बड़ा ही रोचक तथ्य है कि कुछ लोग कठिनाईयों और तंग जिन्दगी से उभर कर स्वयं को मजबूती पर ला खड़ा करते हैं, कुछ ऐसे भी जो नाज़ुक परिस्थितियों में भी स्वयं को संभाले रखते हैं उनके प्रत्येक निराशा पर हल्की सी मुस्कुराहट पर्दा डाले रहती है। बस वही मुस्कुराहट जिससे वे जिन्दगी का वर्णन सरल शब्दों में करने लगते हैं अर्थात् सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं। अवश्य आज जो परिस्थितियां है जो हमारी कठिनाईयाँ,कमजोरियां है वो कल भी रहे कोई जरूरी नहीं। लेकिन उनसे सीखना जरूरी है क्योंकि वही है जो हमें जीवन के महान रास्ते पर लेकर जाने वाली है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि हम उन परिस्थितियों को किस रूप में आंकते हैं। सही कहा जाए तो अधिकतम हम इन्हें नकारात्मक रूप में देखते हैं। तो वे परिस्थितियां वैसी ही बन जाती हैं जैसा हम उन्हें स्वीकारते हैं और उनके दबाव में रहते हैं। यही कारण रहता है कि हम स्वयं को कमजोर और नीची सोच का बना लेते हैं।
ईश्वर ने हमें सुन्दर शरीर और आत्मा दी है वो इसलिए ताकि हम अपने और समाज के लिए कुछ अच्छा करें, ऐसा नहीं कि हम अपने कठिनाईयों नाम मात्र की असफलता का आरोप ईश्वर पर थोपें। यदि ऐसा करते हैं तो शायद हम जीवन का सही महत्व नहीं समझ पायें हैं और साथ ही हमने अपने कर्तव्य से भागना शुरू कर दिया है।
अब दूसरी तरफ बात करें विद्यार्थी जीवन की तो यहां बाधाएं आना मामूली बात है तभी हम जीवन को संवारना चाहेंगे। प्रत्येक विद्यार्थी के जीवन में हर कदम पर परिस्थितियां कुछ अलग अंदाज बना ही लेतीं है। कभी असफलता का डर, आर्थिक स्थिति में उतार - चढ़ाव या फिर परीक्षा और उसकी तैयारी को लेकर कोई न कोई नई स्थिति तैयार। लेकिन क्या हमें इन परिस्थितियों में घबरा जाना चाहिए, अपने लक्ष्य को छोड़ देना चाहिए -नहीं। इसके विपरीत यही ठीक रहेगा कि हम ऐसे समय में संयंम और शांत चित्त से काम ले। इसलिए क्योंकि यही वे परिस्थितियां हैं जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, यहीं से हमारे अंदर वह जोश पैदा होगा जहाँ से हम अपनी कमजोरी और बाधाओं को चीरकर आगे बढ़ना चाहेंगे। तभी हम अपने भविष्य को शिखर पर पहुँचा सकते हैं। सोचिये यदि हम शुरुआत से ही ऐशोआराम से भरा जीवन जीने लगे और किसी भी कार्य को बाधित समझ कर जरूरी न समझें तो भविष्य में किसी कठिनाई का सामना कैसे कर पायेंगे, कहाँ तक सफल होंगे और वह आराम से भरी जिंदगी कब तक साथ देने वाली है - इसकी कोई निश्चितता नहीं। थोड़ा गहराई में जायें तो ज्यादातर वे बच्चे पढ़ाई में अव्वल रहते हैं और सफलता छूते हैं -जिन्होंने परिवार में आर्थिक तंगी देखी हो, जिन्होंने जीवन की कठोरता को सहा हो। बजाय उन लोगों के जिन्होंने केवल ऐशोआराम को जिन्दगी समझा हो। शुरूआती दौर की कठिनाईयां ही जिन्दगी को करीब से देखने का मौका देती है। वहीं से ही भविष्य की सफलता का असली आनंद समझ आता है।
प्रिय विद्यार्थीयो आपको इस लेख के साथ साथ पहले के लेख कैसे लगे हमें कॅामेंट बॅाक्स में लिखकर बतायें । साथ ही आप भविष्य में किस संबंध में जानकारी चाहते हैं जरूर लिखें

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें