बुधवार, 4 जनवरी 2017

विद्यार्थी जीवन और राजनीति

Posted by बेनामी
विद्यार्थीयो यह लेख विद्यार्थी जीवन में पढ़ाई और विद्यार्थी जीवन में राजनीति से संबंधित है। इसलिए सबसे पहले हमें यह जान लेना चाहिए कि विद्यार्थी जीवन और राजनीति पर यदि बहस छेड़ दी जाए तो इस बहस का अंत अर्थात् नतीजा लटक कर रह जाएगा। क्यों कि यह बहस बहुत हद तक एक दूसरे पक्ष को सही भी ठहरायेगी और उतना गलत भी अर्थात् सवाल जस का तस खड़ा रहेगा कि क्या विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति से जुड़ जाना सही है या गलत?
लेकिन वास्तविकता तो यह है कि आज प्रत्येक व्यक्ति को अपने राष्ट्र हितों और राजनीति से संबंधित ज्ञान होना जरूरी होते हुए भी विद्यार्थी को अपनी पढ़ाई तक सीमित रहने की सलाह दी जाती है।
अब यदि दूसरी तरफ देखा जाए तो इतिहास इस बात का गवाह है कि देश में ऐसे सपूत भी पैदा हुए जो अपने विद्यार्थी जीवन से राजनीति से जुड़े लेकिन अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहकर उसे पूरा भी किया। जबकि उन्होंने राजनीति और देश के लिए अपना तन,मन,धन सब सौंप दिया। लेकिन आज युवाओं को राजनीति से दूर रहने की बात कही जाती है। शायद इस बात को सही भी ठहराया जा सकता है क्योंकि आज राजनीति से जुड़ा मुद्दा कुछ अलग सा नजर आता है। राजनीति में बहुत बार नारेबाजी , हड़ताल , प्रदर्शन जैसी बगैर मतलब की घटनायें हो ही जाती है। यहां युवाओं का गुस्सा बहुत भड़कीले अंदाज में होता है - जहां तक मसला समझदारी से सुलझाने वाला क्यों न हो लेकिन फिर भी इसे गुसैले अंदाज में लिया जाता है। अब इन बातों को अधिकतम युवा और जनता समझ नहीं पाते कि मुख्य मुद्दा क्या है,मकसद क्या है। लेकिन मजबूरन .... सहयोगी बनना पड़ता है। यहां राजनीति की परिभाषा कुछ बदल सी जाती है। जहां युवा और विद्यार्थी इससे जुड़ जाएं तो वे अपनी पढ़ाई को शायद ही गंभीरता से ले।
लेकिन अब दूसरी तरफ इस बात को भी नहीं नकार सकते कि विद्यार्थी पढ़ाई के साथ राजनीति को भी थोड़ा महत्व दे। क्योंकि आज का युवा (विद्यार्थी) ही है जिसे भविष्य में राष्ट्र और राजनीति दोनों की रक्षा करनी है। इसका एक छोटा सा उदाहरण हम कॅालेज में होने वाले चुनावों से भी ले सकते हैं जिनका मुख्य मकसद छात्र हितों की रक्षा करना होता है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि वहीं से प्रत्येक युवा अपने राष्ट्र हितों की रक्षा करने के बारे में समझ पाता है।
लेकिन सही कहा जाए तो राजनीति का मतलब हमें केवल नारेबाजी करने से और केवल राजनीति से समझ नहीं आने वाला। बल्कि इसके लिए हमें खुद समझदारी दिखानी होगी। यह पूर्ण विश्वसनीय नहीं कि हम सिर्फ किताबों से राजनीति का सम्पूर्ण मतलब और महत्व सीख जायें। बल्कि इसके लिए हमें अपनी पढ़ाई के साथ बाहरी ज्ञान भी प्राप्त करना होगा अर्थात् हमें राजनीति से जुड़ी शिक्षा भी प्राप्त करनी होगी हमारे लिए राजनीति का सही मतलब समझ लेना ही ठीक रहेगा। लेकिन विद्यार्थी के लिए यही बेहतर है कि वह अधिक से अधिक महत्व अपनी पढ़ाई को ही दे साथ ही राजनीति से जुड़ने की बजाय पहले उसके बारे में पूर्णतः समझ पैदा करें। ताकि जब भी देश के लिए हमारी जरुरत पड़े हम बिना किसी भय के आगे आयें।

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