मंगलवार, 6 दिसंबर 2016
विद्यार्थी जीवन क्या है।
Posted by बेनामी
विद्यार्थी जीवन कोई मामूली जीवन नहीं है अर्थात् विद्यार्थी होना बड़े
गर्व की बात है।इस बात को दो पहलुओं द्वारा साक्षात रुप से
समझा जा सकता है। एक तो यह कि जो व्यक्ति कठिन परिस्थितियों
और असफलता के बाद भी अपने विद्यार्थी जीवन को सुधारता रहा
और आज अपने मुकाम तक पहुँच गया हो चाहे वह सफलता कैसी
भी हो। और दुसरा पहलू यह कि एक विद्यार्थी जिसने विद्यार्थी
जीवन की कठिनाईयों और असफलता के भय से अपना विद्यार्थी
जीवन बीच में ही छोड़ दिया हो। ऐसे में दोनों व्यक्ति पहला जो
सफल हो चुका है और दूसरा जिसने पढाई बीच में छोड़ दी है
-इस बात को आसानी से समझ सकते हैं कि विद्यार्थी जीवन
का क्या महत्व है।
। लेकिन इन दोनों व्यक्तियों के जीवन से तीसरा
व्यक्ति अर्थात एक विद्यार्थी ही है जो बहुत कुछ अच्छा सीख सकता
है। या फिर। यूँ कहें कि एक विद्यार्थी ही विद्यार्थी जीवन के महत्व
को समझ सकता है और स्वयं पर गर्व महसूस कर सकता है
इसके लिए विद्यार्थी को पढ़ कर सफल हो चुके व्यक्ति और पढाई
बीच में छोड़ देने वाले व्यक्ति दोनों के वर्तमान जीवन की परिस्थितियों
को समझना होगा।
सही मायने में देखा जाए तो सम्पूर्ण विद्यार्थी जीवन
कठिनाईयों से घिरा रहता है। लेकिन इसे ऐसा कहा जाए तो भी
गलत नहीं होगा कि विद्यार्थी के समक्ष आने वाली कठिनाइयाँ और
असफलता ही शिक्षा का सम्पूर्ण रूप है। शांत मन से समझा जाये
तो विद्यार्थी जीवन में आने वाली बाधाएँ ही एक विद्यार्थी को
हौंसले के साथ उड़ान भरने में मदद करती है। विद्यार्थी अपने
जीवन में आने वाली बाधक परिस्थितियों से ही कुछ अच्छा और
बड़ा करने की सोचता है, ये परिस्थितियां हर रोज विद्यार्थी के
सामने स्वतः ही एक नया रूप लेकर आती है। अब ये परिस्थितियां
अच्छी है या बुरी यह विद्यार्थी के नजरिये पर निर्भर करता है ,
कि एक विद्यार्थी इन कठिन परिस्थितियों को बुरा समझ कर
उदास बैठ जाता है,या फिर इन कठिन परिस्थितियों में सही
और अच्छा बदलाव करने के लिए संघर्ष करता है। ऐसे में यह
बहुत जरूरी है कि कठिन परिस्थितियों से एक विद्यार्थी दोस्ती
भी ना करें और उनसे दूर भी न भागे । इसलिए चाहिए कि
एक विद्यार्थी उन परिस्थितियों को साथ लेकर चले उन्हें स्वयं के
लिए सकारात्मक बनाने तक संघर्ष करता रहे, तभी एक विद्यार्थी
स्वयं को सच्चा विद्यार्थी होने का श्रेय दे सकता है ।
विद्यार्थी
यदि चाहता है कि वह अपने विद्यार्थी जीवन को अधिक ऊँचाईयो
पर लेकर जाये और सफलता प्राप्त करे , तो इसके लिये चाहिए
कि वह स्वयं को ऐसा बनाये कि असफलता के बाद भी खुद के
हौंसले को बुलंद रखे और असफलता से कुछ अच्छा और बड़ा
सीखने वाला नजरिया तैयार करे । अवश्य असफल हो जाने के
बाद विद्यार्थी का सकारात्मक नजरिया बनाया मुश्किल तो है
परन्तु नामुमकिन नहीं। इसलिए यदि एक विद्यार्थी असफल हो
जाने के बाद भी आगे बढ़ते रहना चाहता है तो उसे निराश
बैठने की बजाय अपनी अन्दरुनी ऊर्जा शक्ति और योग्यता को
परखना और याद रखना होगा । उसे यह सोचना होगा कि
क्या एक छोटी सी भूमिका असफलता से उसकी योग्यता में कोई
कमी आई है? नहीं बिल्कुल नहीं इसलिए अच्छा यही होगा कि
"किस्मत" को भला बुरा नहीं कहा जाए। यदि कोई विद्यार्थी
एक-दो बार असफल हो जाने के बाद यह सोचने लगे कि
उसकी किस्मत में तो असफलता ही है, तो यह सोचना गलत
साबित होगा और वह विद्यार्थी स्वयं को शंकित और घुटन भरा
जीवन जीने को मजबूर कर लेगा । शायद वह इस बात से
अनजान है कि उसका थोड़ा सा धैर्य और आत्मविश्वास उसकी
सफलता की चाबी बन सकता है।
अब इन सब बातों के
अलावा महत्वपूर्ण यह हो जाता है कि यह समझा जाये कि
"शिक्षा" क्या है और एक"विद्यार्थी" जीवन क्या है । क्या
एक विद्यार्थी जो कि विधालय में पुस्तकें पढता है, वह शिक्षा
का सम्पूर्ण रूप है, और जो व्यक्ति विधालय से संबंधित पुस्तकें
पढ़ता है वह एक पूर्ण विद्यार्थी है। इन सब बातों का जवाब
आप आगे की पोस्टों को पढ़ लेने के बाद स्वत् जान लेंगे।
साथ ही आप इस बात का भी फैसला करने में भी सक्षम
होंगे कि केवल किताबों में लिखी बातें पढ़कर हम पूर्णतः
शिक्षित नहीं हो सकते और न ही वो हमारा पूर्ण विद्यार्थी
जीवन है । इसलिए यह अतिआवश्यक है कि हमें पुस्तकीय
ज्ञान के साथ-साथ अन्य बाहरी ज्ञान से रूबरू होना चाहिए
अर्थात् हमें जीवन के कर्तव्यों, नैतिक मूल्यों, और अनुशासन
को समझना होगा। अवश्य हम पुस्तकों को पढ़कर स्कूल या
कॅालेज की परीक्षा तो पास कर लेंगे, लेकिन यदि हम जीवन में
कर्तव्यों एवं नैतिकता को नजरअंदाज करते रहेंगे तो हम अपने
की महान परीक्षा में असफल साबित हो जायेंगे।
About Author
Vinod Sain is the founder of TheStudentMotive This blog is created to improve knowledge between students. Want to know more about me Click Here
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