मंगलवार, 24 जनवरी 2017

विद्यार्थी कभी ईर्ष्या न करें

Posted by बेनामी
सर्वप्रथम आपको इस बात से रूबरू करवा दें कि यह लेख सिर्फ आपके लिए है - वो इसलिए क्योंकि आपने इसे पढ़ने के लिए चुना है। यह सब जानते हुए कि आप बहुत अच्छे इंसान है, इतना ही नहीं आपको दूसरों की सफलता और दूसरों को तरक्की करता देख खुशी मिलती है, आनंद मिलता है। यही वजह है कि आप अपना जीवन बहुत ही मजे और संतोष के साथ जी रहे हैं
ऊपर लिखी बातें कितनी सच्च है यह कोई दूसरा नहीं बल्कि आप स्वयं अच्छे से जानते हैं। यह इसलिए कहना पड़ रहा है कि अभी आपको स्वयं से कुछ प्रश्न करने हैं, जिनका जवाब आपको बिल्कुल नहीं सोचना पड़ेगा बल्कि प्रश्न के साथ ही आपका जवाब तुरंत ही मिल जाएगा, और तुरंत आप कुछ अजीब सा महसूस करेंगे - शायद वह आपकी खुशी हो या मायूसी:-
1• क्या आप किसी विद्यार्थी/ व्यक्ति की सफलता से जलते हैं।
2• क्या आपको दूसरों की तरक्की करना अच्छा नहीं लगता।
3• क्या दूसरों की हंसी/ खुशी आपकी उदासी है।
अब हम लेख के मूल मुद्दे पर पहुंच गए हैं कि यदि ऊपरी तीनों बातों का जवाब 'हाँ' निकलता है तो बस वही ईर्ष्या है। वही हमारा असंतोष, दुख, कष्ट, असफलता सब है। लेकिन यदि ऊपरी तीनों बातों में हमारा जवाब 'नां' है तो हमें तुरंत शांति की अनुभूति हुई है, और अंत्र मन से निकल रहा है कि 'अरे वाह'- हमारे अंदर ये बुराई नाम मात्र की नहीं है। जी हाँ यदि ऐसा है तो समझ लीजिए आप और हम ईर्ष्या से कोई तालुकात नहीं रखते और जो ऊपर तीन बातें हैं वो अब हमें झूठी महसूस हो रही है। वो इसलिए क्योंकि आप हमेशा सफलता पाने के लिए मेहनत पर विश्वास रखते हैं सिर्फ मेहनत पर - वही जीत है। लेकिन क्या कभी आपने विचार किया ये ईर्ष्या .....???? जी हाँ हमारे अंदर ईर्ष्या तभी पैदा होती है जब हम मेहनत नहीं करते या फिर कम मेहनत करते हैं, लेकिन चाहते हैं कि हमें उसका बड़ा लाभ , सफलता मिले - परन्तु ऐसा असंभव है। क्योंकि बड़ी सफलता किसी मेहनती व्यक्ति को पहले ही मिल चुकी होती है शायद वो हमारा दोस्त ही क्यों न हों। शायद यह सब किसी को अच्छा न लगे, और वहां से मन में जलन पैदा ... निश्चित है - ईर्ष्या।
विचार कीजिए यदि कोई विद्यार्थी अपनी कठिन मेहनत से परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ले या हमसे अधिक अंक प्राप्त कर ले - तो क्या हम उस पर जलन महसूस करें, उसकी सफलता को दूसरों के सामने घटिया बतायें।
अरे नहीं रे नहीं क्योंकि इस बात को हम और दूसरे सभी व्यक्ति अच्छे से जानते हैं कि उसकी इस बड़ी सफलता का राज क्या है - सिर्फ मेहनत
और मेहनत करने की ताकत हम सभी के पास है जिसे केवल सुन्दर भावना से परखा और किया जा सकता है।
यदि हम किसी विद्यार्थी/व्यक्ति को ऊँचाइयाँ छूता देख उससे ईर्ष्या करने लगें तो समझ लीजिए इससे किसी ओर का नुकसान नहीं बल्कि हमारा स्वयं का पूरा जीवन नष्ट हो रहा है। ईर्ष्या - यानी हमें स्वयं की मेहनत किये कराये पर कोई विश्वास नहीं, जिससे हम केवल सामने वाले की सफलता को महसूस कर सकते हैं- स्वयं सफलता के कोई प्रयास नहीं, क्यों कि यदि ईर्ष्या को नहीं हटाया जाता है तो यह हमें अपने लक्ष्य से भटका देती है। जिसका नतीजा यह रहता है कि फिर व्यक्ति दूसरों पर गुस्सा करने और उन्हें बूरा बताने में लग जाता है।
इस बात को भी परख लीजिए कि जब भी कोई व्यक्ति किसी दूसरे से ईर्ष्या रखता है तो उसे लगता है मानो सामने वाला उसका दुश्मन हो जिससे ईर्ष्यालु व्यक्ति का नजरिया भी उसके प्रति बदल जाता है। लेकिन वास्तविक यह होती है कि वह व्यक्ति ऐसा बिलकुल नहीं है , इस बात का अहसास दोनों व्यक्ति जब आपस में मिलते हैं तो अवश्य होता है, लेकिन एक नजर में वह सब जान पड़ता है कि आपके दिमाग में उसके प्रति क्या विचार चल रहा है। उस व्यक्ति के अच्छे व्यवहार को जानकर ईर्ष्या रखने वाले व्यक्ति को शायद शर्मिंदा भी होना पड़े।
इसलिए बेहतर यही है कि हम किसी भी अपने पराये से किसी प्रकार का द्वेष अपने मन में न रखें और हमेशा दूसरों की खुशी और सफलता का हिस्सा बनें। ताकि हम एक संतोषजनक जीवन जी सकें ।


आपको यह लेख कैसा लगा हमें अवश्य लिखें।
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शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक विचार

Posted by बेनामी

Motivational quotes

आज हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं Motivational Quotes . जिसे पढ़ के आपको अदभुत प्रेरणा, साहस, और शक्ति प्राप्त होगी । आपको बताते चलें कि प्रेरणादायक विचार प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में नई ऊर्जा, और उमंग पैदा करने में बेहतर परिणाम रखते हैं। लेकिन वो तब , जब हम इन्हें केवल पढ़ने की बजाय अधिक से अधिक समझने की कोशिश करें और इनका अनुगमन करें । यह Motivational Quotes आपके जीवन में नई ऊर्जा का संचार करेंगें और सकारात्मक (Positive ) बदलाव लाएंगे ऐसा मुझे पूर्ण विश्वास है, Students के लिए यह Motivational Quotes बहुत ही लाभदायक साबित होगें इसलिए आपको मैं निवेदन करता हूँ की इसे बहुत ध्यानपूर्वक और दिल से पढ़े ।






1. अपने लक्ष्य को नजर अंदाज न किया जाए तो लक्ष्य
प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को लांघने का आत्मविश्वास अपने आप जाग उठेगा।







2. जिन्दगी इतनी सरल नहीं कि इसका प्रत्येक पल हंस कर बिताया जाये, लेकिन इतनी कठिन भी नहीं कि कोई इसे सरल ना बना सके।








3. जीवन में रास्ते पर चलना ही महानता नहीं क्योंकि रास्ते पर चलने के बाद यदि उसके नियमों का पालन ना किया जाए, तो भी रास्ते पर चलना गलत साबित होगा।







4. यदि हम जीवन में आने वाली छोटी - छोटी परेशानियों से निपटना सीख लें तो हमें जीवन में बड़ी परेशानियां खोजने पर भी नहीं मिलेगी।






5. उस दिन आप सफलता के बिल्कुल नजदीक पहुंच जाओगे, जब आप इस बात की परवाह करना छोड़ देंगे कि -असफलता पर लोग क्या कहेंगे।






6. यदि हम दोस्ती की शुरुआत माता - पिता से करेंगे तो हम जीवन में यही पायेंगे कि हमारी दोस्ती पुरुष महिला की बजाय 'इंसान' और 'इंसानियत' से हो रही है।






7. अनुशासन वह पौधा है जिसके "अच्छे व्यवहार" और "अच्छे नजरिये" नामक दो फूल हमेशा खिले रहते हैं।







8. सफलता सिर्फ अपना अधिकार है परन्तु असफलता हमारी सम्पूर्ण सफलता का आधार है।







9. किस्मत उस बीज के समान है जिसे बो देने के पश्चात् जितनी अच्छी देखभाल की जायेगी, वह उतनी अच्छी तरह फलेगा - फूलेगा।







10. जो काम हाथों से एक बार करते हो उसे पहले दिमाग से हजार बार समझो , लेकिन जब तक समझ न पाओ उसे अपने हाथों और लगन से करते रहो , सफलता निश्चित है।




प्रिय विद्यार्थियो आपको ये प्रेरणादायक विचार कैसे लगे हमें कॅामेंट बॅाक्स में लिखकर बतायें।
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बुधवार, 18 जनवरी 2017

विद्यार्थी जीवन हो आदर्श से परिपूर्ण

Posted by बेनामी
विद्यार्थी जीवन वह अवस्था है जहां से प्रत्येक व्यक्ति के गुजरने से उसके जीवन को मजबूत आधार प्रदान होता है । लेकिन इस मजबूत आधार को तैयार करने के लिए विद्यार्थी जीवन में जितना जरूरी है मेहनत करना उतना ही जरूरी है स्वयं के व्यक्तित्व को सुन्दर रूप देना।
अवश्य विद्यार्थी की मेहनत उसे पढ़ाई में होशियार की श्रेणी में ले आयेगी इतना ही नहीं विद्यार्थी अच्छी मेहनत के बल पर बड़ी धनराशि कमाने के लायक भी बन जाएगा। लेकिन फिर भी इन सबके बावजूद हमें जिन्दगी को सही ढंग से जीने के लिए अपने जीवन को अच्छे से संवारना बेहद जरूरी होता है। एक विद्यार्थी के लिए शायद यह बात कम आवश्यक हो कि वह हमेशा प्रथम श्रेणी पर रहे , लेकिन विद्यार्थी का अपनी पढ़ाई और व्यक्तिगत जीवन को लेकर कैसा रवैया है - यह अधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए विद्यार्थी जीवन और उसके व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ मुख्य बातें यहां लिखी गई है कि एक विद्यार्थी जीवन में आदर्श कैसे बना रहता है।

पढ़ाई में रूचि:-

विद्यार्थी जीवन में सबसे अहम बात है तो वह यह है कि एक विद्यार्थी अपनी पढ़ाई से कितना प्रेम करता है, पढ़ने में कितनी रुचि दिखाता है। यह बात ज्यादा मायने नहीं रखती कि विद्यार्थी दिन,हफ्ता,महिने में कितना कुछ पढ़ लेता है। बल्कि जरूरी तो यह है कि विद्यार्थी को पढ़ाई से कितनी लगन है वह स्वयं को कहाँ तक पढ़ाई से जोड़ लेता है। बस यही लगन ही विद्यार्थी को सफलता की ओर लेकर जायेगी, बजाय इसके कि कोई परिवार वालों के डर से स्कूल जाता है या पढ़ाई करता है।

सहनशील:-

यहां सहनशील शब्द को थोड़े टेढ़े रूप में लें तो बेहतर होगा।सहनशील विद्यार्थी को प्रत्येक परिस्थिति में स्वयं को तैयार रखना बेहद जरूरी है। सर्दी - गर्मी, भूख - प्यास इन चीजों को अलग परिस्थिति और उस समय झेलने की क्षमता हो जब ये अध्ययन में बाधा बने और पढ़ाई न करने का कोई बहाना बन बैठे।

शिष्य रूपी सोच:-

जी हाँ, विद्यार्थी जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात यही है कि एक विद्यार्थी चाहे पढ़ने में कितना ही परिपूर्ण और होनहार क्यों न हो, फिर भी उसे स्वयं को सोच से शिष्य बने रहना चाहिए अर्थात् हमेशा सीखने की चाह रखनी चाहिए। क्योंकि इसी शिष्य रूपी सोच की वजह से ही विद्यार्थी हर क्षण बहुत कुछ सीख पाता है। यदि कोई विद्यार्थी स्वयं को ज्ञानी और होनहार समझ कर गुरु की बातों को अनदेखा करने लगे तो वह कैसे अधिक ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है।

कर्तव्यनिष्ठ:-

विद्यार्थी को आदर्श व्यक्तित्व वाला बनने के लिए अपने प्रत्येक कर्तव्य को बखूबी निभाना ही मुख्य गुण है। यहीं से विद्यार्थी अपने सम्पूर्ण जीवन की जिम्मेदारीयों को समझ पाता है। इसलिए यह जरूरी है कि विद्यार्थी अपने माता - पिता, गुरु और बड़े बुजुर्गों के प्रति अपने कर्तव्यों को समझे और उन्हें पूरा करे।

स्वयं की जिम्मेदारी:-

विद्यार्थी जीवन का एक बड़ा गुण यह भी है कि विद्यार्थी अपने सम्पूर्ण जीवन का खुद जिम्मेदार बने। उसे चाहिए कि वह अपने प्रत्येक कार्य को स्वयं ही सही समय पर सम्पूर्ण करे। इतना ही नहीं विद्यार्थी को अपने कार्यों में रही कमजोरी का स्वयं जिम्मेवार बनकर उन्हें सुधार करना चाहिए बजाय दूसरे को दोषी ठहराने के। क्योंकि जब तक हम अपनी जिंदगी की सम्पूर्ण जिम्मेदारी खुद नहीं लेंगे तब तक हम जीवन में सफलता के लिए संघर्ष करने में पीछे हटते रहेंगे।

अनुशासन:-

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन वह मूल गुण है जो व्यक्ति के बचपन से बुढ़ापे तक अलग ही पहचान बनाए रखता । अनुशासन ही है जिससे हम दूसरों से सम्मान पाते हैं समाज में अच्छे नागरिक के रूप में पहचान बनती है । यह बात बिल्कुल निश्चित है कि अनुशासन ही व्यक्ति की सम्पूर्ण समाज में वह सुन्दर पहचान है जिसे कोई व्यक्ति पैसे से बाल के बराबर भी नहीं खरीद सकता।
 
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सोमवार, 16 जनवरी 2017

विद्यार्थी जीवन में नशा एक अभिशाप

Posted by बेनामी
मनुष्य जीवन ईश्वर का दिया हुआ वह अनमोल तोहफा है जिसे कोई भी व्यक्ति बर्बाद करना नहीं चाहता। हम यही चाहते हैं कि हमारा जीवन आनंद और खुशी के साथ बीते। ऐसे में कौन चाहेगा कि वह अपने ही पैसे से जीवन में कष्ट और बुराइयां खरीदे। लेकिन आज यह सब वास्तविकता में बदलता जा रहा है। जहां व्यक्ति एक तरफ धन की बर्बादी कर रहा है और दूसरी तरफ अपने शरीर और सम्मान की। इस बात का मूल कारण है -'नशा' आजनशे का चलन समाज में इस प्रकार फैल चुका है जिसने युवा,विद्यार्थी और यहां तक कि उम्र दराज लोगों को अपना गुलाम बना लिया है। चाहे वह नशा किसी भी रूप में क्यों न हो। क्योंकि नशे को बड़ा - छोटा कहना गलत होगा। नशा तो नशा है उसे किसी भी प्रकार से कम नहीं आंक सकते। अब चाहे वह सिगरेट हो या फिर शराब। यदि कोई कहे कि सिगरेट तम्बाकू तो मामूली नशा है। तो यह कहना सरासर गलत होगा क्योंकि यही चीजें हैं जो नशे की जड़/नींव है। और हम इस बात को अच्छे से जानते हैं कि किसी भी वस्तु के आधार, नींव को कितनी गौर से लगाया जाता है। और हम देख सकते हैं कि कोई व्यक्ति नशे की नींव इस तम्बाकू और सिगरेट की वजह से कितनी बारीकी से ढ़ाल रहा है। यहां बात विद्यार्थी जीवन की हो रही है। और जहां नशे ने विद्यार्थी को भी अपने चंगुल में फंसा लिया है। और इस विद्यार्थी जीवन में नशा सबसे बड़ा अभिशाप बन चुका है। लेकिन साफ - साफ सवाल किया जाए तो क्या कारण हो सकता है कि ज्यादातर विद्यार्थी नशे को चुनने में जरा भी चूक नहीं करता विचार कीजिए - •कहीं आपने नशे को शान/बड़ाई समझकर तो नहीं चुना है। •कहीं आपने मौज-मस्ती का एक मात्र जरीया नशे को तो नहीं समझ लिया है। •कहीं आप चिंता मुक्त होने के लिए नशे को तो सही नहीं ठहरा रहे हैं। देखिये विद्यार्थियो नशे का चुनाव करते समय ये बातें शायद ही दिमाग में आये या फिर कोई इनकी गहराई में जाकर विचार करें। लेकिन एक विद्यार्थी के नजरिये से देखें तो ये बातें सच जान पड़ती है। क्योंकि एक विद्यार्थी स्कूल, कॅालेज में अपने साथियों की देखादेखी और उनके बार - बार मनाने पर विद्यार्थी समझदार होकर भी नासमझी वाला कदम उठा लेता है। और स्वयं को नशे से जोड़ लेता है, बस इसी क्षण से वह नशे को अपने दोस्तों के सामने शान समझता है। धीरे धीरे यह नशा ही उसकी मौज मस्ती का मुख्य हिस्सा बन जाता है। क्योंकि ज्यादातर विद्यार्थियो को घर से बाहर रहने पर कहने - सुनने वाला भी कोई नहीं होता, जिसे वे फायदे का मौका समझते हैं। आखिर उन्हें मालूम होता है कि यह नशा जिन्दगी में कलंक है। अब अधिकतर विद्यार्थी नशा यह समझकर करते हैं कि वे इससे चिंता मुक्त हो जायेंगे। लेकिन ऐसा करना बिल्कुल गलत होगा। क्योंकि नशे के बल पर हम स्वयं को कुछ देर तो चिंता से मुक्त कर लेंगे लेकिन कभी आपने सोचा कि इसका भविष्य में हमारे जीवन में कितना बूरा असर होगा। चिंता केवल कुछ पल के लिए है जिसे हम अपनी मेहनत और मानसिकता से दूर कर सकते हैं लेकिन सोचिये यदि नशे की लत मामूली बात को लेकर लगा ली जाए तो यह पूरी जिंदगी को बर्बाद कर के रख देगा। नशा एक ऐसी बुराई है जिससे धन,तन/स्वास्थ्य की बर्बादी तो होती ही है लेकिन जिससे व्यक्ति की इज्जत भी मिट्टी में मिल जाती है। क्यों कि प्रत्येक बुराई की जड़ नशा है। इसलिए बेहतर यही रहेगा कि नशे से हमेशा दूर रहा जाए इसी में ही भलाई है। प्रिय विद्यार्थियो आपको यह लेख कैसा लगा अवश्य लिखें आपकी राय हमें ओर बेहतर लिखने में मदद करेगी।
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शनिवार, 14 जनवरी 2017

विद्यार्थी की पढ़ाई एक ताकत

Posted by बेनामी
मनुष्य जीवन का शिक्षा ही मूल आधार है। शिक्षा के बिना मनुष्य जीवन अधूरा है क्योंकि शिक्षा ही है जो हमें सही गलत, अच्छे - बूरे का ज्ञान करवाती है। लेकिन फिर भी हमें यह बात कहीं न कहीं सुनने को मिल जाती है कि हम पढ़ लिख कर क्या कर लेंगे। इस बात का सबूत वह बालक है जो कम उम्र में भी मजदूर की तरह कार्य करता है। ऐसा दृश्य हमें बाज़ार में दुकानों और होटलों पर आसानी से देखने को मिल जाएगा। और उन बच्चों के माता पिता और उन स्वयं के सामने पढ़ाई का जिक्र किया जाए तो उनका जवाब यही होगा कि आखिर पढ़ लिखकर क्या कर लेगा, कौनसा अधिकारी बन जाएगा। इतना ही नहीं बहुत हद तक ऐसी सोच उन युवाओं की भी है जो पढ़ रहे हैं - लेकिन फिर भी वे इस पढ़ाई के बदलाव को समझ नहीं पाते। उनका पढ़ने का मूल मकसद सिर्फ बड़ी नौकरी और धन पाने से है। लेकिन पढ़ाई का महत्व केवल इतना नहीं है। आप इस उदाहरण से समझने की कोशिश कीजिए - एक अनपढ़ व्यक्ति इस बात को जानता है कि पूर्व में सूर्य निकलता है और दिन हो जाता है और पश्चिमी में ढ़ल जाता है तो रात - अब यही बात एक शिक्षित व्यक्ति को भी पता है लेकिन उस अनपढ़ की बजाय शिक्षित व्यक्ति को इस बात का अच्छे से ज्ञान है कि दिन और रात कैसे होते हैं। लेकिन इन बातों का अनपढ़ व्यक्ति को शायद ही पता हो। अब आप इस बात से बहुत हद तक शिक्षा के महत्व को समझ गए होंगे। लेकिन फिर भी आप यह मानते हैं कि यदि पढ़ लिख कर नौकरी न मिले अच्छी खासी सैलरी न मिले तो पढ़ाई व्यर्थ है ।
लेकिन विद्यार्थियो वास्तविकता यह नहीं है। क्योंकि कि शिक्षा हमें क्या कुछ नहीं सिखाती यहां तक कि शिक्षा ही है जो हमें स्वयं के रहन सहन से लेकर सम्पूर्ण सृष्टि तक का ज्ञान करवाती है। शिक्षा के बल पर ही प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अनुशासन, सहनशीलता, और कर्तव्यनिष्ठा जैसे गुणों को सीखता है। हम इस बात को स्वयं की सोच की गहराई से अच्छे से समझ सकते हैं कि हम अनपढ रहते तो हमारी जीवन शैली कैसी होती और शिक्षित हैं तो हमारी ताकत क्या है। हमें इस बात को अपने जहन में बिठाना होगा कि शिक्षा ही वह शक्ति है जिससे हम जिन्दगी जीने के रहस्यों को जान पाते हैं। हम इस बात का अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि एक अनपढ़ और शिक्षित युवाओं के रहन-सहन, बोलचाल और कार्य करने के तौर तरीकों में कितना बड़ा अंतर होता है। साफ शब्दों में कहें तो एक शिक्षित व्यक्ति शिक्षा के बल पर एक पीढ़ी आगे बढ़ जाता है उस स्तर से जहां वह अनपढ़ रह जाता। ऐसा इसलिए कि यदि किसी बच्चे के माता- पिता अनपढ़ रहते हैं तो उसे अपना जीवन का आधार स्वयं तैयार करना होगा। लेकिन इसके विपरीत यदि उस बच्चे के माता पिता शिक्षित है तो समझ लीजिए उन्होंने अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर दिया है, जिसके बल पर वह बच्चा और अधिक ऊंचाई तक पहुंचने में सफल होगा। और हम इन दोनों बातों में जो अंतर है उसे साफ नजर से देख सकते हैं। इसलिए हमें चाहिए कि हम शिक्षा का संबंध केवल नौकरी पाने से न लेकर इसे अपने जीवन का सुन्दर आधार बनाएँ। जिससे हम समाज में अच्छे नागरिक बन सके। इसलिए अन्ततः यही कहना सही है कि मनुष्य जीवन का पहला और बड़ा कर्म शिक्षित बनना है। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कॅामेंट बॅाक्स में अवश्य लिखें।
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शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

विद्यार्थी का परीक्षा संबंधी भय

Posted by बेनामी
प्रिय विद्यार्थियो इस लेख को बिल्कुल सरल रूप में लिखने की कोशिश की गई है इसलिए हो सकता है आपको थोड़ा ऊबाउपन महसूस हो लेकिन ऐसा हमने जरूरी समझा। प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में किसी न किसी रूप में परीक्षा देनी होती है जो कि पढ़ाई ही नहीं बल्कि किसी भी रूप या लक्ष्य के लिए हो सकती है। क्योंकि परीक्षा व्यक्ति के जीवन का वह बिंदु है जिसे पहचानने के लिए व्यक्ति स्वयं को पहले से तैयार करता है।
परीक्षा व्यक्तिगत जीवन में इस बात का संकेत है कि हम निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं और प्रत्येक क्षण कुछ नया और अच्छा सीख रहे हैं। विद्यार्थियो परीक्षा न तो कोई भय है, न कोई उलझन और न ही किसी के लिए जिन्दगी का बोझ। परीक्षा परीक्षा है। परीक्षा एक उस दरवाजे के समान है, जिसे खोलने के लिए हमें एक साथ दो - मेहनत और आत्मविश्वास नामक चाबीयों की जरूरत पड़ती है। और हम इस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलकर जब आगे बढ़ते हैं तो वह कदम हमारी जिन्दगी का बड़ा कदम है, और जिससे हमने अपने अन्दर एक नई ऊर्जा और हौसले को काबू में किया है जो हमें आगे बढ़ने में ओर अधिक मदद करेगा। लेकिन मुद्दे की बात करें तो हम जीवन भर मेहनत करते हैं लेकिन जब भी परीक्षा का समय आता है तो उसके नाम से ही हम घबरा जाते हैं। तो इसका साफ मतलब यही है कि हम उस परीक्षा रूपी दरवाजे को खोलने वाली एक चाबी का प्रयोग करना भूल गए। अर्थात् हमने परीक्षा में सफलता पाने के लिए या तो मेहनत नहीं की या फिर मेहनत तो की लेकिन उस मेहनत पर विश्वास नहीं जमा पाये। हम यहां बात कर रहे हैं विद्यार्थी जीवन की जिसमें मेहनत का मूल मकसद परीक्षा में सफलता अर्जित करना है। और वही परीक्षा विद्यार्थी की अपनी मेहनत का परिणाम सामने रखती है अर्थात् इस बात का ज्ञान करवाती है कि हमने अब तक क्या सीखा है। अब चाहे वह स्कूल, कॅालेज या प्रतियोगिता से जुड़ी परीक्षा क्यों न हो। परन्तु यदि हम कहें कि परीक्षा से भय तो निश्चित है - नहीं ऐसा बिलकुल नहीं हमें अपने मन से इस सोच और भय को दूर करना होगा। अन्यथा यह तो निश्चित है कि परीक्षा से जुड़ा भय अवश्य हमारे लिए घातक सिद्ध होने वाला है। एक बात पर थोड़ी गौर फरमाईये आप ऐसे विद्यार्थी को जरूर जानते होंगे जो बहुत मेहनत करता है लेकिन काफी समय से परीक्षा में थोड़े बहुत नंबर से असफल रहता है, दूसरी तरफ एक ऐसे विद्यार्थी को जानते होंगे जिसने मेहनत तो पहले विद्यार्थी की तुलना में कम की लेकिन वह परीक्षा में सफल रहा। क्या कारण रह ऐसा कुछ होने के पीछे - देखिए केवल सपाट मेहनत करने से नहीं बल्कि हम जो मेहनत करते हैं उस पर कहाँ तक हमारा विश्वास लिपटा है कि हां अवश्य मेरी मेहनत सफलता अर्जित करेगी। बस वही हमारा आत्मविश्वास है जिसके बल पर ही हमारी मेहनत हौसले से चमक रही है। देखिये हम जितना मेहनत करेंगे और हम उस पर जितना सेल्फकॅान्फीडेंस बनाए रखेंगे बस वही हमारे अनुभव में बदलने वाला है। और यही वह अनुभव है जिसके बल पर हम सफल होने वाले हैं। आपको बात को सकारात्मक नजरिये से समझना होगा कि यहां यह कतई नहीं कहा कि आप मेहनत ना करें और केवल यह कहकर परीक्षा देने चल दें कि बस आत्मविश्वास काफी है। नहीं सर्वप्रथम मेहनत करनी होगी तभी हमारे अंदर से आत्मविश्वास पैदा होगा और वह परीक्षा से जुड़े भय को मात देने वाला है। क्योंकि कुछ विद्यार्थियो के साथ ऐसा भी होता है कि वे घर से खूब मेहनत कर के जाते हैं लेकिन जैसे ही परीक्षा देने बैठते हैं तो उन्हें यदि शुरुआत के एक दो प्रश्न नहीं आते तो वे अपना पूरा आत्मविश्वास खो देते हैं और उन्हें जो प्रश्न सही करने थे उसे भी भय की वजह से गलत कर बैठते हैं। तो यहां हमारा आत्मविश्वास ही हमें सहारा देने वाला है न कि अकेली मेहनत। और एक ओर बात का। ध्यान रखिये कि यदि आप मेहनती होकर भी परीक्षा के समय घबरा जाते हैं तो थोड़ा इस बात को सोचिये कि यदि परीक्षा में इस बार असफल हुए तो ज्यादा से ज्यादा आपका क्या नुकसान होगा - ताकि आप स्वयं को मानसिक और शारीरिक क्षति से बचाए रख सकें।और ऐसा करके आप आत्मविश्वास पर भी जीत दर्ज कर लेंगे। प्रिय विद्यार्थियो आपको यह लेख कैसा लगा हमें अपनी राय भेजें
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